Tuesday, May 5, 2009

जीत की हवस नहीं, किसी पर कोई वश नहीं.......

आज दफ्तर में ऐसा कुछ हुआ जिससे इस बात में यकिन और बढ़ने लगा है कि लोगों में जीत की हवस और दूसरों पर हावी होने की भूख बढ़ती जा रही है.... और जब ऐसा नहीं हो पाता तो वो बहुत परेशान हो जाते हैं और कुछ ऐसे तरीके से बर्ताव करते हैं जिसे अगर बाद में, शांत मन से वो खुद कसौटी पर उतारें तो शर्मिंदा महसूस करें....
दरअसल सच ये है कि हम सब इस दुनिया में एक अनुभव के लिए आए हैं.... हम जो हैं वो हम हैं और हम खुश हैं... वैसे हीं कोई दूसरा भी एक अलग पहचान, एक अलग व्यक्तित्व, एक अलग सोच के साथ इस दुनिया में आया है और वो वैसा हीं है और वो खुश है ... हमारा एक-दूसरे से अलग होना हीं हमारी पहचान है... हमारे बीच का अंतर हमें परेशान कर सकता है लेकिन तभी तक जब हम उस अंतर पर ध्यान दे रहे हैं... जिस दिन हम इस बात पर ध्यान देंगे कि वो क्या है जो हम चाहते हैं, जो हमें खुशी देता है... हमारा ध्यान खुद ब खुद उस अंतर पर से हट जाएगा जो हमें तकलीफ दे रहा था...
हम इस दुनिया में इसलिए नहीं आए कि हर किसी को वही सच मानने पर मजबूर कर दें जो हमें लगता है कि सच है, या हर किसी को उसे हीं सही मानने के लिए बाध्य करें जो हमें लगता है कि सही है... या लोग उसे हीं खूबसूरत या बढ़िया माने जो हमें लगता है कि खूबसूरत या बढ़िया है.... नहीं... हम इसलिए नहीं आए हैं... हम सारी दुनिया को अपने जैसा बनाने नहीं आए हैं... क्योंकि जिस दिन ऐसा हो गया, हमारा आगे बढ़ना, इवौल्व होना, रुक जाएगा....
लेकिन जाने-अनजाने हम सब कर यही रहे हैं... हम चाहते हैं कि सब वैसा हीं सोचें जैसा मैं सोचता हूं... सब वही करें जो मुझे लगता है कि सही है... मेरा सच उनके लिए सच हो... जो जो मैंने अपने जीवन में किया वो सबके लिए आदर्श हो और सब वैसा हीं करें... जबकि ऐसा नहीं है... हर कोई अपना जीवन जीने के लिए इस दुनिया में है... हम हमारे आसपास वैसी हीं दुनिया बनाते जाते हैं जैसी दुनिया हम चाहते हैं लेकिन दूसरे को ऐसा करने से रोकते हैं... हमारी दुनिया में हमारी मर्जी के बिना कोई नहीं आ सकता... कोई भी नहीं... लेकिन हम दूसरों की दुनिया में बिना इजाज़त घुसे चले जाते हैं... दरअसल हम दूसरों को, उनके जीवन को, उनकी भावनाओं को अपने मुताबिक कंट्रोल करना चाहते हैं... और यहीं से शुरुआत होती है सारी तकलीफों की.... हमें दूसरों पर कंट्रोल पाने की आदत से छुटकारा पाना होगा... इस आदत को बदलना होगा... और जैसे जैसे हम ऐसा करते जायेंगे हम खुद ब खुद उस मंज़िल की तरफ आसानी से बढ़ते जायेंगे जिसे हासिल करने के लिए हम इस दुनिया में आये हैं... हम सिर्फ खुद पर कंट्रोल रख सकते हैं... दूसरों पर कंट्रोल पाने की फितरत छोड़नी होगी... जैसे हम चाहते हैं कि हमें अपने मन मुताबिक जीवन जीने का मौका मिले, वैसा हीं मौका हमें दूसरों को भी देना होगा... वरना नुकसान सिर्फ सामने वाले का नहीं, खुद हमारा भी होगा...

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