Monday, March 18, 2013

" ग़म होते हैं जहां ज़हनत होती है, दुनिया में हर शय की क़ीमत होती है..

  अक़सर वो कहते हैं वो मेरे हैं, अक़सर क्यों कहते हैं हैरत होती है...

  तब हम दोनों वक्त चुराकर लाते थे, अब मिलते हैं जब भी फ़ुरसत होती है..."
(दिल और दिमाग की लड़ाई के बीच जब थोड़ा वक्त बचा तो ये ख़्याल आया कि अगर दिमाग न होता तो दुनिया की कितनी मुश्किलें कम हो जाती... परखने की आदत से निजात मिल जाती... शायद आप भी जब इसे पढ़ेंगे तो एक बार के लिए सहमत हो जाएंगे इस सोच से, लेकिन फिर दिमाग अपना काम शुरु कर देगा और आप तर्क के समंदर में डूबते चले जाएंगे कि दिमाग के न होने जैसी बेफ़ज़ूली की बात कोई कर भी सकता है... यही कमाल है दिमाग का... और इसीलिए जो ख़्याल ज़हन में आया वो ये था... )


उसे फ़क्र है उसकी कलाकारी पर कि उसने दिल भी बनाया, दिमाग भी....

मुझे अफ़सोस है उसके हुनर पर कि उसने दिल तो बनाया, पर दिमाग भी.