Friday, July 17, 2009

बांधो बस्ता, आगे बढ़ो......

बांधो बस्ता आगे बढ़ो
लंबा है रस्ता आगे बढ़ो

माथे पर पसीना
हालत खस्ता
हर मोड़ पर पड़े
परेशानियों से वास्ता
रुकना मत
झुकना मत
सांसे थामे, सब से लड़ो
बांधो बस्ता, आगे बढ़ो
लंबा है रस्ता, आगे बढ़ो

जो गुज़र गया
उसका दुख कदमों को डगमगाये नही
जो मिल रहा है
वो सांसों में समाने से पहले गुज़र जाये नहीं
जो मिलेगा आगे
उसका कौतूहल और उत्साह मन में भरो
बांधो बस्ता आगे बढ़ो
लंबा है रस्ता, आगे बढ़ो

गलत मोड़ मुड़ने पर भी जोश कम ना हो
जो साथ नहीं अब उनका अफसोस न हो
थकते हों कदम या उफनती हो धड़कन
सफर के फासले का होश ना हो
जो बोझिल करे रास्ता
ऐसे बोझ को कंधे से उतारो
जीयो हर लम्हा
मील के पत्थर गाड़ो
सफर बने यादगार
हर कदम कुछ यूं ज़मीं पर रखो
बांधो बस्ता, आगे बढ़ो
लंबा है रस्ता, आगे बढ़ो

2 comments:

  1. बहुत ही अच्छी कविता है। भई, वाह।

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  2. शुक्रिया दोस्त.... और हां, देखकर बहुत अच्छा लगा कि तुम अपने दादा जी के लिए ब्लॉग बना रहे हो... दुनिया में हर रिश्ता दिल से जीना... इससे बेहतर कुछ नहीं....

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